ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है,
किसी का दिल टटोलिए, कुछ मीठा बोल कर..... किसी का दिल टटोलिए, कुछ मीठा बोल कर.....
हजारों शब्दों के शोर में मैं तुम्हारी आवाज हूँ, हजारों शब्दों के शोर में मैं तुम्हारी आवाज हूँ,
यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा। यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा।
आखिर बेटी हूं ना उनकी। आखिर बेटी हूं ना उनकी।
कड़वी वाणी नहीं बोलना पैसे से प्यार नहीं तोलना। कड़वी वाणी नहीं बोलना पैसे से प्यार नहीं तोलना।